औरत के हुक़ूक़ में
सड़क पर,
नुक्क्ड़ पर,
चाय की टपरी से झोंपड़े के टीले पर,
कविताओं की आड़ में,
बेवफ़ाई के तोहमतों से,
ऑफिस की स्कैंडल तक,
कपड़ों के पैमाने से वर्जिनिटी मापने तक,
इश्क़ में जहां लिखेंगे
हक़ीक़त की तवायफ़ को
दिन के उजाले में
इंक़लाबी शोर वाले रात के सन्नाटे में,
कंसेंट का कत्ल करके औरत के हुक़ूक़ में तुमसे,
हमसे शायरियां कहेंगे,
एक लंबी फ़ेहरिस्त में उन सबका नाम लिखेंगे
जिन्हें शोषित किया गया,
जिनकी ज़ीद तबाह हुई औरत के हुक़ूक़ में।
~ शैली मिश्रा (अली)