पुस्तक समीक्षा – उपन्यास ‘शर्ट का तीसरा बटन’ बालपन में चल रहे मन को झकझोर देने वाले सवालों का जवाब है

क़िताब समीक्षा – शर्ट का तीसरा बटन

गांव का जीवन, बरगद की झूलती जड़े, बालपन का कोमल मन, कड़वे सच से आहत, विद्रोह का प्रयास।

  • क़िताब समीक्षा – शर्ट का तीसरा बटन
  • लेखक – मानव कौल
  • विधा – उपन्यास
  • प्रकाशक – हिन्दी युग्म
  • मूल्य- 230/

बचपन कितना खूबसूरत होता है, नाज़ुक मन में कई सवालों से भरा, शरारतों और दोस्तों से घिरा हुआ। मानव कौल ने अपने आठवें उपन्यास में इन चीजों को बेहद खूबसूरती से दर्शाया है, जी हां हम बात कर रहे हैं किताब शर्ट के तीसरे बटन की । इस किताब में लेखक ने हमारे सामने बचपन की तस्वीर पेश की है, वह भी गांव में बिताया बचपन जहां आपको बरगद के पेड़ की झूलती जड़ें या नदी का बहता पानी दिखाई देगा।

तीन पक्के दोस्त राजिल, चोटी और राधे की कहानी –

शर्ट का तीसरा बटन तीन करीबी दोस्तों राजिल, रोटी और राधे के इर्द-गिर्द घूमती है, जो छठी कक्षा के छात्र हैं। इस उपन्यास का मुख्य पात्र राजिल एक संकोची स्वभाव का लड़का है। वह किसी भी सवाल का जवाब देने में खुद को अक्सर असमर्थ पाता है ।  वह कभी भी अपने दोस्तों से अपनी भावनाएं व्यक्त नहीं कर पाता और खुद को किसी संकट से जूझता हुआ पाता है, तो वह बस अपनी शर्ट के तीसरे बटन को देखता रहता है जंहा वह उम्मीद रखता है कि इससे संकट दूर हो जाएगा। कई मायनों में, उपन्यास इस बारे में है कि कैसे “तीसरा बटन” भी उसे घूरता है ।

आपको बता दें कि, यह किताब बचपन के मनोविज्ञान पर आधारित है। जहां एक बच्चा अपने परिवार, दोस्तों और समाज से मिले अनुभवों की व्याख्या अपनी समझ के अनुसार करता है। जब कड़वी सच्चाई के घाव उसके ह्दय में चोट पहुँचाते थे। फिर वह अपनी मां की गोद में सिर रखकर सो जाता है। उसके  दोस्त चोटी  के जीवन में कुछ कड़वे सच हैं जो उसे अक्सर परेशान करते रहते हैं और गज़ल की खूबसुरती उसे हमेशा एक सुंदर अहसास करवाती है ।

पात्र – एक गाँव, कई अनोखी कहानियां-

शर्ट का तीसरा बटन गाँव और उसके भीतर बसी बहुत सी अनोखी कहानियों की एक तस्वीर पेश करता है। उपन्यास, अपने पात्रों के माध्यम से, ग्रामीण जीवन के कई सामाजिक रीति-रिवाजों प्रकाश डालता है।  

उदाहरण के लिए, सामाजिक मानदंड तय करते हैं कि राजिल की मां आशा को अपने परिवार की देखभाल करने में संतुष्ट रहना चाहिए, अन्य सपने या इच्छाएं नहीं रखनी चाहिए। लेकिन वह एक मुस्लिम व्यक्ति के साथ संबंध में शामिल होकर मानदंड का उल्लंघन करती है।

 भाषा शैली – वास्तविकताएं और कल्पना की उड़ान

किताब की भाषा की जाए तो यंहा प्रव्राहमयी भाषा का प्रयोग किया गया है, जो किसी भी पाठक को समझ आ जाएगी । मानव कौल का लेखन कभी-कभी यथार्थवादी और जमीनी होता है । समय-समय पर, उपन्यास पाठक को डरावनी वास्तविकता की ओर लौटने से पहले, राजिल की कल्पना की उड़ानों में ले जाती है।

लेखक के बारे में –

हमने कहानी और किरदारो की बात कर ली,अब हम लेखक की बात करेगें। एक असली लेखक की यही पहचान होती है जब उन्हें पढ़ कर हम अपने आप को उनके लिखे हुए साहित्य में बंधा हुआ महसूस करने लगते हैं और हां मानव कौल उन्हीं लेखको में से एक हैं । कश्मीर के बारामूला में पैदा हुए मानव कौल पिछले 20 सालों से मुंबई में फ़िल्मी दुनिया, अभिनय, नाट्य-निर्देशन और लेखन का महत्तवपूर्ण हिस्सा बने हुए हैं। अपने हर नाटक से हिंदी रंगमंच की दुनिया से सबका दिल जीतने वाले मानव ने अपने साहित्य पाठकों के बीच विशेष जगह बनाई है। इनकी पिछली दोनों किताबें ‘ठीक तुम्हारे पीछे’ और ‘प्रेम कबूतर’ दैनिक जागरण नीलसन बेस्टसेलर में शामिल हो चुकी हैं। बता दें मानव कौल को इस बात में महारत हासिल है कि वह पाठक को हमेशा बांधे रखते हैं। इस उपन्यास से पहले मानव कौल की 9 क़िताबें आ चुकी हैं जिसमें एक कविता संग्रह और 7 उपन्यास हैं।

ऐसे ही किताब समीक्षा के लिए JMC Study Hub से जुड़े रहिए। किताबे पढ़ते रहिए।

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