तेरी मर्ज़ी है तू मिल या न मिल मुझसे
पर पता तो दे उनका जिन्हें इश्क़ हुआ था तुझसे
जिन्हें हुई थी तेरे हसीन चेहरे से मोहब्बत,
हम भी देखेंगे उन निगाहों को अपने दिल से
तुझको पाने के लिए अरमान उनके भी जागे होंगे
तुझसे हाथ मिलाते वक़्त हाथ उनके भी कांपे होंगे
तिरे घर आने के लिए तरसे होंगे उनके भी कदम
उन्होंने भी तो पुकारा होगा तुझको सनम
हमारी मेहबूब के आशिक़ों से,
हम मेहबूब के बारे में बात करेंगे
हक़ीक़त में न सही हम तुझसे,
ख़्वाबों में आके मुलाकात करेंगे
ख़ैर सोचो तुम भी ज़रा क्या तुम्हें अपने आशिक़ों से प्यार हुआ होगा
उफ्फ ये तेरी खामोशी अब इससे आगे भला और क्या हुआ होगा
वो मेहबूब का प्यार नही धोख़ा होगा
क्या सोचके गौरव ने ये लिखा होगा
तेरी मर्ज़ी है तू मिल या न मिल मुझसे
पर पता तो दे उनका जिन्हें इश्क़ हुआ था तुझसे
~ गौरव दुबे
रेडियो से जुड़ी खूबसूरत यादों पर लिखी कविता जरूर पढ़े – Click Here