जब सोशल मीडिया पर किसी इन्फ्लुएंसर को देखते हैं तो हम सभी उनके जैसे बनने की दौड़ में शामिल हो जाते हैं। हम कभी नहीं सोचते कि उस एक वीडियो के पीछे की कहानी क्या है? क्या आपने कभी सोचा है कि, किसी की उपलब्धियों को नजरअंदाज करके उसकी शक्ल का ऑनलाइन मज़ाक बनाया जाएगा ? जी हां, ऐसा हाल ही में हुआ है, जहां उत्तर प्रदेश बोर्ड परीक्षा में 98.5 प्रतिशत अंकों के साथ टॉप करने वाली प्राची निगम साइबर बुलिंग का शिकार बन गई। प्राची अपनी उपलब्धियों से ज्यादा अपने लुक्स को लेकर ट्रेंड कर रही थीं। इसे सोशल मीडिया का नकारात्मक पहलू कहा जासकता है जहां सफलता से ज्यादा सुंदरता मायने रखती है । आजकल हर किसी को अपनी त्वचा को बेदाग दिखाने के लिए दैनिक जीवन में भी फिल्टर की जरूरत पड़ती है। लोग प्राकृतिक दागों को आत्मविश्वास कम करने का जरिया मान रहे हैं। युवाओं की मानसिकता इस हद तक पहुंच गई है कि, वे इलाज के जरिए इन्हें पूरी तरह खत्म करना चाहते हैं। वे ऑनलाइन और वास्तविक जीवन में एक जैसे दिखना चाहते हैं।
सुंदरता को लेकर इंटरनेट की दुनिया फैला रही है भ्रांतियां –
सोशल मीडिया का सकारात्मक पहलू यह है कि, मीडिया दुनिया के किसी भी कोने से लोगों को एक-दूसरे से जोड़ रहा है। वर्तमान में हम सभी इंटरनेट की वैश्विक दुनिया में रहते हैं। लेकिन सोशल मीडिया का नकारात्मक पहलू यह कहता है कि, सोशल जगत की बुनियाद खोखली है। झूठे मुखौटों की इस दुनिया में, बेदाग चेहरा, झूठी मुस्कान ही मायने रखती हैं। लड़कियों के रंग-रूप से लेकर उनके कपड़ों तक का मज़ाक उड़ाया जाता है, जिसे सोशल मीडिया की भाषा में ट्रोलिंग कहते हैं । कभी-कभी ऐसी ट्रोलिंग मानसिक स्वास्थ्य पर बहुत बुरा प्रभाव डालती हैं। कई बार ऐसी ट्रोलिंग से मानसिक स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर पड़ता है। कई बार ट्रोलिंग के कारण अपनी जिंदगी खत्म करने के बारे में भी सोच चुके हैं।
‘नफरत भरी टिप्पणी’ बनी आत्महत्या की वजह –
आज के सोशल मीडिया युग में साइबर बुलिंग एक बहुत ही आम बात हो गई है।
2023 में महाकाल की नगरी उज्जैन में रहने वाले प्रांशु ने अपनी रील पर गंदे कमेंट्स देखने के बाद आत्महत्या कर ली थी। कोई अपने चेहरे, शारीरिक बनावट या काम की वजह से साइबर बुलिंग का शिकार हो जाता है। प्रांशु ने साड़ी में इंस्टाग्राम ट्रांजिशन रील पोस्ट की थी, जिसके लिए उसे खूब ट्रोल किया गया था। इसी बनावटी दुनिया में फंसकर 16 साल के इस लड़के ने आत्महत्या कर ली।
रिपोर्टों में कहा गया है कि सोशल मीडिया किशोरों के लिए अपने प्लेटफार्मों की सुरक्षा के बारे में जनता को “मौलिक रूप से गुमराह” कर रहा है। सोशल मीडिया 13 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए “उपयुक्त नहीं” है। लेकिन आजकल बच्चे अपने माता-पिता की इजाजत के बिना ही सोशल मीडिया का उपयोग कर रहे हैं।
प्राची अपनी उपलब्धियों से ज्यादा अपने लुक्स को लेकर ट्रेंड कर रही –
किसी की उपलब्धियां उसकी बाहरी खूबसूरती की वजह से कम आंकी जा रही है तो समझ लीजिए कि, सोशल मीडिया ने आम जिंदगी में अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है। सीतापुर की छात्रा प्राची निगम ने 98.5 प्रतिशत अंक हासिल कर उत्तर प्रदेश राज्य बोर्ड परीक्षा में पहला स्थान हासिल किया है। प्राची निगम के चेहरे पर बाल होने के कारण सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भद्दे कमेंट्स और बेहद कामुक टिप्पणियां की गईं। कुछ ट्रोल्स ने छात्र की तस्वीर के साथ छेड़छाड़ करने का भी काम किया था ।
हाल ही दिए गए एक इंटरव्यू में प्राची ने कहा, ”इस ट्रोलिंग को देखकर मुझे लगता है कि अगर मुझे एक या दो नंबर कम मिलते तो अच्छा होता. अगर मैं टॉप नहीं करती तो लोग मेरी शक्ल पर ध्यान नहीं देते.” वह आगे कहती हैं कि जब मैंने हाई स्कूल बोर्ड में टॉप किया तो ट्रोल्स ने ही मुझे पहली बार मेरे चेहरे पर लंबे बालों के उगने का एहसास कराया।
इससे साफ पता चलता है कि, सोशल मीडिया किसी तरह से मानसिक स्थिति के साथ खिलवाड़ कर सकती है।
जीवनशैली से नाखुश हैं लोग –
रिपोर्ट के मुताबिक , मनोवैज्ञानिकों ने पाया कि, जिन लड़कियों ने 11 से 13 साल की उम्र के बीच सोशल मीडिया पर अपना समय बढ़ाया, वे एक साल बाद अपने जीवन से कम संतुष्ट थीं। यही प्रवृत्ति 14 से 15 साल के लड़कों में भी देखी गई। चैरिटी यंग माइंड्स के मुताबिक 2017 और 2021 के बीच संदिग्ध मानसिक स्वास्थ्य समस्या वाले पांच से 16 वर्ष की आयु के बच्चों की संख्या में 50% की वृद्धि हुई है। जिससे पता चलता है कि अब हर कक्षा में लगभग पांच बच्चे प्रभावित हैं।
आज कल लोग सुन्दर दिखने के नाम पर फ़िल्टर का उपयोग करते हैं। इन फ़िल्टर के माध्यम से कुदरती खूबसूरती को बदलने की कोशिश कर रहे हैं ।