Indian Advertisement- ब्यूटी कंपनी के सुंदरता वाले विज्ञापनों पर ”वेस्टर्न कल्चर” के पैमानें

BEAUTY COMPANY

बचपन से लेकर अब तक हमने कभी न कभी फेयर लवली या फेयर हैंडसम जैसे प्रोडक्ट के विज्ञापन देखे हैं। उन विज्ञापनों को देखने के बाद कई दुकानों पर गए होंगे और उन ब्यूटी क्रीम की मांग की होगी। एक विज्ञापन ने हमें इतना प्रभावित किया कि हमने उस उत्पाद का उपयोग करना शुरू कर दिया। वजह साफ़ थी उन विज्ञापनों में गोरे रंग का दावा करना। वर्तमान समय में यह कहना गलत नहीं होगा कि भारत में बॉलीवुड के माध्यम से वेस्टर्न ब्यूटी स्टैंडर्ड को अपनाया जाता है। सड़क किनारे लगे होर्डिंग्स से लेकर टेलीविजन विज्ञापन हो, गोरी त्वचा को प्राथमिकता दी जाती है । वर्तमान समय में कई सौंदर्य उत्पाद कंपनियां विज्ञापनों के माध्यम से सुंदरता के अलग-अलग मानक स्थापित कर रही हैं। आज सौंदर्य कंपनियाँ ‘पश्चिमी संस्कृति’ के सौंदर्य मानकों के अनुरूप भारतीय विज्ञापनों के माध्यम से उपभोक्ताओं को गुमराह कर रही हैं।

आखिर क्या है यूरोसेंट्रिक सौंदर्य स्टैंडड ?

यूरोसेंट्रिक का अर्थ है वह स्थान जहां यूरोपीय संस्कृति का प्रभाव दिखाई देता है। पश्चिमी सौंदर्य स्टैंडड के आदर्श का पालन करना है । यूरोपीय सौंदर्य स्टैंडड कहते हैं कि लंबा, पतला, आकर्षक दिखना, लंबे सीधे बाल, सांवली त्वचा, छोटी नाक और गोरा रंग सौंदर्य स्टैंडड हैं। जो भी व्यक्ति इन मापदंडों के अनुरूप होगा वह सुंदर दिखेगा। इसी आधार पर सौंदर्य उत्पाद उद्योग अपने उत्पादों की विकास दर बढ़ा रहा है। ऐसे विज्ञापन बनाना जो लोगों को उन उत्पादों को खरीदने के लिए मजबूर करते हो, परन्तु जब उन ब्यूटी प्रोडक्ट्स के नतीजे सफल नहीं होते तो लोगों के चेहरे पर निराशा छा जाती है।

पुरुष भी हैं इन ब्यूटी कंपनियों के उपभोक्ता –

सुंदरता की होड़ में आज पुरुष भी शामिल हो गये हैं। वर्तमान समय में पुरुषों के लिए फेयरनेस क्रीम के कई विकल्प मौजूद हैं। ब्यूटी कंपनियां खूबसूरती के नाम पर लोगों को गुमराह कर रही हैं। आज के दौर में ब्यूटी इंडस्ट्री ने हर किसी की जिंदगी को प्रभावित किया है। यह इंडस्ट्री पूरी तरह से आकर्षण पर आधारित है ।विज्ञापन लोगों को उनकी ज़रूरतों और नए सौंदर्य उत्पादों के बारे में जागरूक करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ब्यूटी इंडस्ट्री इसी आधार पर अपनी रणनीति बनाती है।

आखिर क्यों ग्लो एंड लवली नाम रखा गया ?

साल 2020 में देश की सबसे बड़ी फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स (FMCG) कंपनी हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड (HUL) ने अपने प्रमुख स्किनकेयर ब्रांड फेयर एंड लवली का नाम बदलकर ग्लो एंड लवली कर दिया। वही पुरुषों का ब्रांड बदलकर ‘ग्लो एंड हैंडसम’ कर दिया गया। इस ब्रांड ने अपने दोनों ब्यूटी प्रोडक्ट्स से ‘फेयर’ शब्द हटाने का ऐलान किया था।

बता दे अमेरिका में अश्वेत नागरिक जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद से लोग रंगभेद के कारण होने वाले भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाते नजर आ रहे हैं। इतना ही नहीं लोग ऐसे प्रोडक्ट्स का भी बहिष्कार कर रहे हैं जो कहते हैं कि गोरा रंग बेहतर है।
इसी विरोध को देखते हुए कंपनी नेअपने प्रोडक्ट का नाम बदला था।

फेयर एंड लवली भारत में स्किनकेयर की सबसे प्रसिद्ध ब्रांड है। जिसकी बाजार हिस्सेदारी 80 प्रतिशत से अधिक है। इन वर्षों में, फेयर एंड लवली सबसे अधिक बिकने वाला उत्पाद बन गया है, जिसने 2019 में लगभग 4,000 करोड़ रुपये की बिक्री दर्ज की है।

पूंजीवादी विचारधारा है ऐसे विज्ञापनों का कारण –

अधिक पैसा कमाने की होड़ में ऐसी सौंदर्य कंपनियाँ विज्ञापन तैयार करती हैं और सुंदरता के मानक रखती हैं। पूंजीवादी विचारधारा के तहत ऐसे सौंदर्य उत्पादों को बाजार में उतारने की पूरी योजना तैयार की जाती है । विज्ञापनों के माध्यम से उपभोक्ताओं को गुमराह किया जा रहा है। वैश्वीकरण के युग में दुनिया का व्यापार पूरी तरह से एक दूसरे से जुड़ा हुआ है। इसी पूंजीवाद के कारण भारत में कॉस्मेटिक बाजार बढ़ता जा रहा है। एक अनुमान के मुताबिक 2025 तक यह 20 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच जाएगा।

Rashmi Dubey JMC
Rashmi S Dubey

jaankari@jmcstudyhub.com

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