“बीता सारा जीवन, जिनका सच की तलाश में,
हमे याद हैं वो चंद पत्रकार , पुलित्जर पर जिनके नाम लिखे हैं”
-Rashmi s Dubey
देश की प्रगति में कहीं ना कहीं एक निष्पक्ष पत्रकार की भूमिका अतिआवश्यक हो जाती हैं जब समाज के लोगों का विश्वास सिस्टम के ऊपर से उठ जाता है तब वह अपनी आवाज़ सिर्फ़ एक साहसी औऱ निष्पक्ष पत्रकार को ही मानते है,ऐसे में एक पत्रकार के ऊपर समाज के लोगों की विश्वसनीयता बनाये रखने की जिम्मेदारी ज़रूर आ जाती है ऐसे में एक कर्तव्यनिष्ठ पत्रकार भी पीछे नहीं हटता, उसके बाद वह सच को सामने लाने की जदोजहद में लग जाता है औऱ ठीक इसी जदोजहद को सराहने के लिए पुरस्कार दिए जाते हैं , उन्हीं पुरस्कारों में से एक हैं पुलित्जर पुरस्कार !!
क्या है आख़िर पुलित्जर पुरस्कार ?
पत्रकारिता के क्षेत्र में अमेरिका का सर्वोच्च पुरस्कार यानी पुलित्जर पुरस्कार !! तो चलिए जानते है इस पुरस्कार के बारे में? । जिसकी स्थापना वर्ष 1904 में हंगरी के निवासी जोसेफ पुलित्ज़र ने की , 4 जून 1917 को पहली बार पुलित्जर पुरस्कार की घोषणा की गयी । विजेताओं की घोषणा अमेरिका का कोलंबिया यूनिवर्सिटी करता है। यह पुरस्कार नाटक, इतिहास, साहित्य , संगीत , समाचार पत्र ऑनलाइन पत्रकारिता और पत्रकारिता में श्रेष्ठ कार्य करने वाले लोगों को दिया जाता है।
कौन हैं 2022 के विजेता ?
2022 में भी यह पुरस्कार दिया गया, जिसमें रॉयटर्स न्यूज एजेंसी के चार भारतीय पत्रकारों का नाम शामिल है, सना इरशाद मट्टू ,अमित दवे, अदनान अबिदी । इन्हें कोरोना काल में भारत में फीचर फोटोग्राफी के लिए यह अवॉर्ड दिया गया । इसके साथ ही रायटर्स के फोटो पत्रकार दानिश सिद्दीकी को मरणोपरांत यह अवार्ड मिला । साल 2021 को अफगानिस्तान में तालिबान और अफगान सेना के संघर्ष के दौरान तस्वीरें लेते समय उनकी हत्या कर दी गई थी परंतु यह दानिश सिद्दीकी का दूसरा पुरस्कार था । इससे पहले 2018 में भी उन्हें रोहिंग्या शरणार्थी संकट संबंधी तस्वीरों के लिए पुलित्ज़र पुरस्कार से नवाज़ा गया था। दानिश सिद्दीकी हमेशा से महत्वपूर्ण घटनाओं की तस्वीरें लेने के लिए जाने जाते है जैसे:-
1.हांगकांग मे होने वाला प्रदर्शन
2.अफगानिस्तान तथा ईरान में युद्ध
3.नेपाल में भूकंप इत्यादि।
इसे भी पढ़े-
जाने भास्कर का इतिहास:- 1958 से आरंभ हुआ दैनिक भास्कर का सफ़र ।