मैं तो केवल दूरदर्शन देखता हूं, बड़ी शांति से बात करते हैं- विकास मिश्रा

भारत में टेलीविजन पत्रकारिता परिपक्व होने से पहले ही कुपोषित हो गया है। आप इसकी कल्पना नहीं कर सकते। आप उसे खिला-पिला कर बहुत हेल्दी बना लेंगे, ऐसा संभव नहीं है। विदेशी टीवी चैनल को देखिए, कितनी आसानी से अपनी बात रखते हैं। हमारे यहां एंकर शुरू होता है तो ऐसा लगता है कि मानो वह पूरे देश को बहरा मानकर चल रहा है कि जब तक हम जोर से नहीं बोलेंगे तब तक बहरे हमारी बात नहीं सुनेंगे।

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तस्वीर: दिखता हुआ सच

कभी हाथों से कागज़, दीवार, पत्थर आदि के चेहरे पर बनी पेंटिंग के रूप में, तो कभी आधुनिकता की कोख़ से जन्म लिए कैमरे से कैद किये गए उन पलों के रूप में जिनको हमने नाम दिया तस्वीर। उसने अपने अलग-अलग रूपों में कभी इतिहास, कभी वर्तमान, तो कभी अपनी कल्पनाओं से भविष्य की चाही-अनचाही

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ईद पर शायरी

ईद: खुशियों का त्यौहार

ईद की मिठास हो या दीवाली की रौनक, हर त्यौहार घर के दरवाजों पर खुशियों की दस्तक देने आता है। मुस्कुराओ की ईद हो जाए, गुनगुनाओ की ईद हो जाए, अपने छोटे बड़ों की सब गलतियां, भुल जाओ की ईद हो जाए..ईद की मिठास हो या दीवाली की रौनक, हर त्यौहार घर के दरवाजों पर खुशियों की दस्तक देने आता है।

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कलम पर शायरी

कलम : ग़ुलाम भी आज़ाद भी

जिस कलम ने सर उठाके आज़ादी की हवा में सांस भी ली और ग़ुलामी की जंज़ीरों में अपने कई दिन भी गुज़ारे लेकिन उसकी चमक न तब कम थी न आज कम है।
आज शायरी कविता आदि के संग्रह हम कलम की तारीफ और आज़ादी और गुलामी की हकीकत पर लिखीं गई

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अख़बार पर शायरी

अख़बार : इंक़लाब से इश्तिहार का सफर

अलग अलग समय पर शायरों ने जहाँ एक तरफ अखबार पर अपना भरोसा जताया वहीं अखबार की बदलती सूरत को देख अपना आक्रोश भी दिखाया। आज अख़बार के इसी सफर को दिखिए अलग अलग वक़्त के शेयरों की रचनाओं में –

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हिंदी पत्रकारिता दिवस विशेष: कलम भी हूं औऱ कलमकार भी हूं

हिंदी पत्रकारिता दिवस के अवसर पर अंकित कुमार द्वारा लिखी गई सुंदर कविता कलम भी हूं औऱ कलमकार भी हूंखबरों के छपने का आधार भी हूं, मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूंइसे बदलने की एक तलबगार भी हूं, दिवानी ही नहीं हूं, दिमागदार भी हूंझूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं,  कभी जो

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Post for 'Hindi Patrakarita Divas, by Gaurav Dubey

हिंदी पत्रकारिता के कारण ही हमारी राजभाषा एवं मातृभाषा हिंदी को बढ़ावा मिला

गीतांजलि यादव, बनारस हिंदू विश्वविधालय आज हिंदी पत्रकारिता दिवस है। 30 मई 1826 में पंडित युगल किशोर शुक्ल ने प्रथम हिंदी समाचार पत्र उदंत मार्तंड का प्रकाशन किया था। उदंत मार्तंड पत्र एक सप्ताहिक पत्र के रूप में प्रकाशित हुआ था। आजादी से पूर्व उदंत मार्तंड एक हिंदी समाचार पत्र था और इसके पहले कोई

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Post for 'Hindi Patrakarita Divas, by Dr. Pallavi Mishra

हिंदी पत्रकारिता दिवस विशेष: हौसलों का सूर्योदय “उदन्त मार्तण्ड”

हिंदी पत्रकारिता दिवस के शुभ अवसर पर पढ़़िए अमिटी यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. पल्लवी मिश्रा द्वारा लिखी गई एक सुंदर कविता ‘हौसलों का सूर्योदय “उदन्त मार्तण्ड “ कभी खाली थे, सूने थे, मेरे फ़साने… मैं गुमनाम थी, इस मुल्क की पत्रकारिता से अनजान थी  … अंग्रेजों की हुकूमत थी, अंग्रेज़ी की ही सूरत थी

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