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कलम : ग़ुलाम भी आज़ाद भी

कलम पर शायरी

जिस कलम ने सर उठाके आज़ादी की हवा में सांस भी ली और ग़ुलामी की जंज़ीरों में अपने कई दिन भी गुज़ारे लेकिन उसकी चमक न तब कम थी न आज कम है।
आज शायरी कविता आदि के संग्रह हम कलम की तारीफ और आज़ादी और गुलामी की हकीकत पर लिखीं गई

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