“पुष्प की अभिलाषा” नामक कविता में वह बागों में खिलने वाले पुष्पों से उनकी चाह के बारे में पूछते हैं कि उनकी कहाँ जाने की ख्वाइश है और पुष्प कहते हैं कि वह उन देश भक्तों के चरणों के नीचे आना चाहते हैं जो मातृभूमि के खातिर अपना शीष भी कुर्बान करने के लिए तैयार हैं।