साहित्य कृतियों का इतिहास के पन्नो से सीधा पर्दे पर उतरते देखना एक कलाकार के लिए अभूति से कम नहीं माना जाता है । ऐसे मे रविंद्र नाथ टैगोर के द्वारा लिखित साहित्य पर फिल्मों का बनना फिल्म जगत के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। भारत को उनका जन-गण-मन देने वाले रविंद्र नाथ टैगोर के न जाने कितने अभिलेख अभी पर्दे पर उतरने बाकी है ।
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