आज रेडियो की बात बड़ी असहज लगती है लेकिन यह सच है कि किसी जमाने में रेडियो की अपनी अलग ही शान थी। वह एकमात्र ऐसी चीज थी, जो हर तबके के लोगों के पास हुआ करती थी. गांव में तो लोग कान से कान सटाकर रेडियो के इर्द-गिर्द बैठ जाया करते थे। रेडियो रखना, रेडियो सुनना और रेडियो के कार्यकिमों में भाग लेना गौरव की बात होती थी। रेडियो विश्व में रेडियो का इतिहास हम सभी जानते हैं कि ध्वनि को यात्रा करने के लिए सोलिड, लिक्विड या गैस जैसे एक माध्यम की आवश्यकता होती है क्योंकि सोलिड, लिक्विड या गैस के मॉलिक्यूलस साउंड वेव्स को एक बिंदु से दूसरे तक ले जाते हैं।आपको मालूम होना चाहिए कि रेडियो से जो भी संदेश भेजे जाते हैं वो इलेक्ट्रिकल वेब्स के माध्यम से भेजे जाते हैं जिसे हम हिंदी में विद्युत तरंग बोलते हैं। रेडियो प्रसारण में रेडियो मैगनेटिक्स वेब्स को एक विशेष दायरे में बिखेर दिया जाता है ताकि रेडियो प्रसारण हो सके।अगर रेडियो के इतिहास की बात करें तो इसकी इतिहास 19 वीं शताब्दी का है, जब सैमुअल मोर्स ने इलेक्ट्रिक टेलीग्राफ का आविष्कार किया था। जेम्स क्लर्क मैक्सवेल, ओलिवर मैक्सवेल, हर्टज और जगदीश चंद्र बसु जैसे वैज्ञानिकों ने विविध रेडियो तरंगों और चुम्बकीय रेडियो तरंगों पर पर निरंतर काम करते रहे और फिर रेडियो से जुड़े कई सवालों का जवाब ढूंढ़ने में उन्हें सफलता मिलती गई। बिटर के अनुसार, गुग्गिल्मो मार्कोनी ने electromagnetic impulse पैदा करने के लिए इन आविष्कारों पर काम किया, जिसे तारों के उपयोग के बिना ही हवा के माध्यम से भेजा जा सकता था।1901 तक इटली के गुग्लीमो मार्कोनी ने तारों का उपयोग किए बिना ही ध्वनि संचारित करने का एक तरीका ईजाद किया और इंग्लैंड से अमेरिका बेतार संदेश भेकर व्यक्तिगत रेडियो संदेश की शुरूआत की।1906 में, जॉन फ्लेमिंग के साथ ली फॉरेस्ट ने वैक्यूम ट्यूब को परफेक्ट किया, जिससे वॉइस और म्यूजिक का क्लियर ट्रांसमिशन संभव हुआ।इन विकासों ने मार्ग प्रशस्त किया जो कि 1906 की शाम कनाडाई वैज्ञानिक रेगिनाल्ड फेसेंडेन ने जब अपना वॉयलिन बजाया और अटलांटिक महासागर में तैर रहे तमाम जहाजों के रेडियो ऑपरेटरों ने उस संगीत को अपने रेडियो सेट पर सुना, वह दुनिया में रेडियो प्रसारण की शुरुआत थी। Guglielmo-Marconi बाद में रेडियो को परफ्केट करने में दस साल का समय लगा।1915 में, भाषण को पहली बार न्यूयॉर्क शहर से सैन फ्रांसिस्को और पेरिस में एफिल टॉवर तक पहुँचाया गया था।1917 में प्रथम विश्व युद्ध की शुरुआत के बाद किसी भी गैर फौज़ी के लिये रेडियो का प्रयोग निषिद्ध कर दिया गया।1918 में ली द फोरेस्ट ने न्यू यॉर्क के हाईब्रिज इलाके में दुनिया का पहला रेडियो स्टेशन शुरु किया। पर कुछ दिनों बाद ही पुलिस को ख़बर लग गई और रेडियो स्टेशन बंद करा दिया गया। प्रसारण की शुरुआत AM रेडियो से हुई, जो 1920 के आसपास वैक्यूम ट्यूब रेडियो ट्रांसमीटर और रिसीवर जैसे नई तकनीक की वजह से रेडियो लोकप्रिय हुआ। नई तकनीक के साथ-साथ संगीत, नाटक, टॉक शो जैसे इन्फोटेनमेंट प्रोग्राम होने की वजह से भी ,रेडियों रोतों-रात लोकप्रिय हुआ और कुछ ही सालों में देखते ही देखते दुनिया भर में सैकड़ों रेडियो स्टेशनों ने काम करना शुरु कर दिया।रेडियो में विज्ञापन की शुरुआत 1923 में हुई। इसके बाद ब्रिटेन में बीबीसी और अमरीका में सीबीएस और एनबीसी जैसे सरकारी रेडियो स्टेशनों की शुरुआत हुई।अन्य मीडिया माध्यमों की तुलना में 1930 तक रेडियो मुख्य रूप से मास मीडियम बन गया। समय बीतने के साथ, विज्ञान ने खूब प्रगति की । साइंस और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में नई खोज और आविष्कार के साथ-साथ रेडियो में कई सुधार किए गए।इन आधुनिकीकरणों ने रेडियो को उसके वर्तमान रूप में अपग्रेड करने में मदद की। इसलिए ’रेडियो’ का आविष्कार करने का श्रेय किसी एक व्यक्ति को नहीं दिया जा सकता है, बल्कि कई वैज्ञानिकों के संयुक्त आविष्कार के रूप में माना जाना चाहिए, क्योंकि सभी ने अपनी सर्वोत्तम क्षमताओं को लगाया।रेडियो की इन विशिष्टताओं के चलते पूरे विश्व में 13 फरवरी के दिन वर्ल्ड रेडियो दिवस मनाने का ऐलान किया गया।