आखिर कौन हैं अमर सिंह चमकीला
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क्या टैगोर भी रहे फ़िल्म जगत का हिस्सा ?
साहित्य कृतियों का इतिहास के पन्नो से सीधा पर्दे पर उतरते देखना एक कलाकार के लिए अभूति से कम नहीं माना जाता है । ऐसे मे रविंद्र नाथ टैगोर के द्वारा लिखित साहित्य पर फिल्मों का बनना फिल्म जगत के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। भारत को उनका जन-गण-मन देने वाले रविंद्र नाथ टैगोर के न जाने कितने अभिलेख अभी पर्दे पर उतरने बाकी है ।
जानिए संघर्ष की कहानी:-15 वर्ष की आयु में तय किया नोबल पुरस्कार का सफ़र।
वर्तमान में मलाला युसुफ़ज़ई किसी परिचय कि मोहताज़ नहीं है। जिस उम्र में बच्चे खिलौने के लिए जि़द करते हुए नज़र आते है,उस उम्र में मलाला युसुफ़ज़ई मानवधिकारो के लिए लड़ते हुए आ रही है ,जो आज हम सभी के लिए प्रेरणाश्रोत है।