कहते हैं आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है जब जिजीविषा या संसाधनों के लिए कुछ जरूरी हो जाता है तो व्यक्ति किसी भी तरह से उसे प्राप्त करने में जुट जाता है। जैसे ही साबुन के विज्ञापन की जरूरत आन पड़ी सोप ओपेरा का अविष्कार हो गया। वैसे हर अविष्कार का एक इतिहास होता है तो चलिए उसी इतिहास के बारे में जानते है।
आख़िर क्यु सोप ओपेरा कहा जाता है-
सोप ओपेरा अर्थात टेलीविजन या रेडियो पर एक धारावाहिक नाटक जिनमें दर्शको के आमजीवन के किस्सो से संबंधित कहानियां होती है । वर्ष 1930 में अमेरिका की विज्ञापन कंपनी प्रोडक्ट एंड गेम्बल ने पारिवारिक नाटक शुरू करवाने के लिए साबुन बनाने वाली कंपनी को तैयार कर लिया ताकि घरेलू महिलाएं नाटक सुनने के साथ साबुन की प्रशंसा सुनकर साबुन का उपयोग करे इसलिए इसका नाम सोप ओपेरा रखा गया।
दुनिया के पहले सोप ओपेरा का इतिहास-
शुरुआत वर्ष 1930 में हुई जहाँ शिकागो के WGN रेडियो के लिए पेंटेड ड्रीम्स के नाम से सोप ओपेरा बनाया गया था। जिसे बनाने में अहम भूमिका इरना फिलिप्स थी । वर्ष 1937 में अब तक की सबसे लंबी कहानी अमेरिकी शो ‘गाइडिंग लाइट’ बनी थी। जिसका प्रसारण रेडियो पर हुआ था गाइडिंग लाइट का प्रसारण 1952 में टीवी पर हुआ था । वहीं ब्रिटेन का ‘कोरोनेशन स्ट्रीट’ दुनिया का ऐसा सबसे पुराना सोप ओपेरा है जो आज भी प्रसारित होता है जिसे पहली बार 9 दिसंबर 1960 में आईटीवी ने प्रसारित किया था । 1950 में बीबीसी रेडियो का द आर्चर्स पहली बार प्रसारित दुनिया का सबसे लंबा चलने वाला रेडियो सोप ओपेरा बना था।
भारत के पहले सोप ओपेरा का इतिहास-
वर्तमान में भारत का हर नागरिक चाहें वह युवा, महिला या वृद्ध क्यू ना हो टेलीविजन शो का आदी ज़रूर हो गया जैसे ही शाम के सात बजते हैं पूरा भारतीय समाज टेलीविजन के सामने आकर बैठ जाता है। कहीं ना कहीं सोप ओपेरा के अंदर इतनी ताकत होती है कि वह पूरे परिवार को एक साथ बैठ कर हँसने, रोने, औऱ वक़्त बिताने पर मज़बूर कर देता है। वहीं 7 जुलाई 1984 को भारत का पहला सोप ओपेरा प्रसारित हुआ था जिसका नाम हम लोग था । यह जल्द ही भारतीय समाज के बीच लोकप्रिय हो गया था। इस धारावहिक को भारत के एक-मात्र टेलीविज़न चैनल दूरदर्शन पर प्रसारित किया जाता था। जिसके लेखक मनोहर श्याम जोशी व इस धारावहिक के निर्देशक पी. कुमार वासुदेव थे। हम लोग उस वक़्त के भारत के मध्यम-वर्गीय परिवार व उनके रोज़ मर्रा के जीवन के संघर्ष पर आधारित कहानी थी । इस धारावाहिक का विचार तत्कालीन सूचना एवं प्रसारण मंत्री वसंत साठे को उनकी 1982 की मेक्सिको यात्रा के पश्चात आया था । मनोहर श्याम जोशी ने इस धारावाहिक की पटकथा लिखी एवम पी. कुमार वासुदेव ने हम लोग का निर्देशन किया ।
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