डॉ सुरेंद्र वर्तमान में हरियाणा केंद्रीय विश्वविधालय के पत्रकारिता एंव जनसंचार विभाग में अस्सिटेंट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत है।
आपकी एक पुस्तक जिसका नाम ‘भारत में जनसंचार’ प्रकाशित है, क्या आप बता सकते हैं कि यह पुस्तक पत्रकारिता और जनसंचार के छात्रों के लिए कैसे उपयोगी है?
डॉ. सुरेंद्र- मेरा पुस्तक लिखने का मुख्य लक्ष्य यही था कि हिंदी के विद्यार्थियों को कोई एक ऐसी पुस्तक मिले जिसमें की जनसंचार की सभी शाखाओं के बारे में आरंभिक जानकारी हो। इसी के साथ ही पुस्तक में आज के यूजीसी नेट को ध्यान में रखकर भी कुछ सामग्री हो। इन सभी बातों को ध्यान में रखकर मैंने यह पुस्तक लिखी है। इस तरह से जनसंचार विद्यार्थी को इसकी सभी शाखाओं के बारे में आरंभिक जानकारी देने में पुस्तक सहायक है तो साथ ही यूजीसी नेट की तैयारी के लिये भी यह पुस्तक उपयोगी है।
जैसा कि आपके पास सामुदायिक रेडियो में 7 वर्षों का अनुभव है, क्या आप बता सकते हैं कि आम लोगों की समस्याओं को हल करने में सामुदायिक रेडियो कितना उपयोगी है?
डॉ. सुरेंद्र- सामुदायिक रेडियो स्टेशन लोगों की समस्याओं का समाधान करने में और उनका विकास करने में पूर्ण रूप से सहायक है। चाहे गांवों की बिजली पानी की बात हो रोजगार की बात हो या फिर शिक्षा की बात हो। सामुदायिक रेडियो स्टेशन हर प्रकार की समस्याओं का समाधान करने और नई जानकारियां देने और विकास में पूर्ण रूप से सहायक है।
आप CRS 90.4 Mghrtz सिरसा में हैलो सिरसा के कार्यक्रम प्रस्तुतकर्ता रहे हैं, क्या आप सामुदायिक रेडियो स्टेशन में कार्यक्रम प्रस्तुतकर्ता होने में अपनी भूमिका का वर्णन कर सकते हैं?
डॉ. सुरेंद्र- मैंने लगभग सात साल चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय सिरसा के पत्रकारिता विभाग में कम्यूनिटी रेडियो स्टेशन में विभिन्न प्रकार की जिम्मेवारी निभाई है। मेरी भूमिका सिर्फ अपने कार्यक्रमों तक सीमित ना होकर दूसरे कार्यक्रमों की निगरानी रखने और उनको अपने बहुमूल्य सुझाव देने की भी थी। इसी के साथ कि रेडियो स्टेशन पर किस प्रकार के वह कैसे कार्यक्रम चलने चाहिये और क्या कुछ परिवर्तन होने चाहिये तथा जो श्रोता है उनका फीडबैक लेने का भी काम था। मेरे कार्यक्रम हैलो सिरसा हर सोमवार से शनिवार तक एक घंटें का होता था तथा उसमें हम शहर के या हरियाणा के ऐसे लोगों को बुलाते थे जो कि लोगों को एक नया रास्ता दिखा सके। इसलिये हम उच्च अधिकारियों, शिक्षकों, खिलाड़ियो और विभिन्न समाज के प्रसिद्ध लोगों को हैलो सिरसा कार्यक्रम के तहत बुलाते थे।
जैसा कि आपने ‘डिजिटल मीडिया और महिला सशक्तिकरण’ पर अपना एक शोध पत्र प्रस्तुत किया है। तो, क्या आप हमें बता सकते हैं कि कैसे डिजिटल माध्यमों ने महिलाओं को सशक्त और सक्षम बनाया हैं?
डॉ. सुरेंद्र- डिजिटल मीडिया ने महिलाओं को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। चाहे हम सोशल मीडिया की बात करे जहां पर महिलायें खुलकर आ रही है और हर विषय पर अपने विचार सांझा कर रही है या फिर आज वो घर बैठे ही डिजिटल माध्यमों के द्वारा ना केवल रोजगार प्रदान कर रही है वरन नीत नई मंजिलों को प्राप्त कर रही है।
आपने विकास संचार के क्षेत्र में एक पत्र प्रकाशित किया है और आपकी विशेषज्ञता भी हासिल है, कृपया भारत में विकास संचार में बाधा डालने वाली कुछ प्रमुख समस्याओं के बारे में हमारे साथ साझा करें।
डॉ. सुरेंद्र- भारत ने आजादी के बाद विकास के नये आयाम स्थापित किये है लेकिन अगर हम यूरोपीयन देशों के साथ तुलना करे या फिर हम जापान, चीन आदि देशों से तुलना करे तो हम साफ पाते है कि हमें अभी बहुत सुधार की जरूरत है। यह है गुणवतापूर्वक शिक्षा, भ्रष्ट्राचार का खात्मा, महिला सशक्तिकरण, स्किल इंडिया, सभी को बराबरी का अधिकार, रोजगार की गारंटी, सभी की आधारभूत आवश्यकताओं की पूर्ति व संसाधनों का उचित बंटवारा आदि। जब तक यह नहीं होगा तो हम विकास तेजी से नहीं कर सकते है।
जैसा कि 2011 में सूचना एंव प्रसारण मंत्रालय द्वारा आयोजित सामुदायिक रेडियो सम्मेलन में आपके एक रेडियो कार्यक्रम ने द्वितीय पुरस्कार जीता था। द्वितीय पुरस्कार पाने के पीछे क्या रहस्य था और प्रथम पुरस्कार पाने से कैसे चुक गए?
डॉ. सुरेंद्र- उस समय हमें सामुदायिक रेडियो स्टेशन के हैलो सिरसा प्रोग्राम को सूचना प्रसारण मंत्रालय की तरफ से दूसरा स्थान मिला। क्योंकि हम इस कार्यक्रम के माध्यम से आसपास के लोगों को जोड़ पा रहे थे और उनकी समस्याओं को उठा पा रहे थे। इसी के साथ ही हम समाज के सभी लोगों को विकास से संबंधित सूचना दे रहे थे। प्रथम पुरस्कार हमें इसलिये नहीं मिला क्योंकि जो प्रथम स्थान पर रेडियो स्टेशन आया उनका कार्य हमसे बेहतर था। हमें और ज्यादा प्रयासों की उस समय जरूरत थी। इसी के साथ ही यह भी बात सही है कि व्यक्ति अपनी गलतियों से ही सिखता है।